25Jun

Surya Dev Ki Aarti-सूर्य देव की आरती

Surya Dev Ki Aarti – सूर्य देव की आरती

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान ।।

सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान ।।

ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान ।।

संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान ।।

देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान ।।

तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान ।।

भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान ।।

पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान ।।

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

25Jun

Tulsi Mata ki Aarti – तुलसी माता की आरती

Tulsi Mata ki Aarti – तुलसी माता की आरती

जय जय तुलसी माता,
मैय्या जय तुलसी माता ।
सब जग की सुख दा ..

सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर।
रज से रक्ष करके, सबकी
मैय्या जय तुलसी माता।।

बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या।
विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता।
मैय्या जय तुलसी माता।।

हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित।
पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता।
मैय्या जय तुलसी माता।।

लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में।
मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपति पाता।
मैय्या जय तुलसी माता।।

हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी।
प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता।
हमारी विपद हरो तुम, कृपा करो माता।
मैय्या जय तुलसी माता।।

जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता॥
मैय्या जय तुलसी माता।।

24Jun

Shri Raghuvar Ji Ki Aarti- आरती रघुवर जी की

Shri Raghuvar Ji Ki Aarti- आरती रघुवर जी की

आरती कीजै श्री रघुवर जी की
सत् चित् आनंद शिव सुंदर की

आरती कीजै श्री रघुवर जी की
सत् चित् आनंद शिव सुंदर की

कौशल्या सुत दशरथ नंदन सुर मुनी रक्षक दैत्य निकंदन
कौशल्या सुत दशरथ नंदन सुर मुनी रक्षक दैत्य निकंदन

अनुगत भक्त भक्त उर चंदन
मर्यादा पुरुषोत्तम वर की
आरती कीजै श्री रघुवर जी की

निर्गुण सगुण अरूप निधि सकल लोक वंदित विभिन्न विधि
निर्गुण सगुण अरूप निधि सकल लोक वंदित विभिन्न विधि

हरण शोक भय दायक सब सिद्धि
माया रहित दिव्य नर वर की
आरती कीजै श्री रघुवर जी की

जानकी पति सुर अधिपति जगपति अखिल लोक पालक त्रिलोक गति
जानकी पति सुर अधिपति जगपति अखिल लोक पालक त्रिलोक गति

विश्व वंध्या अवंध्या अमित मति एकमात्र गति साराचर की
आरती कीजै श्री रघुवर जी की

शरणागत वत्सल व्रत धारी भक्त कल्पतरु वर असुरारी
शरणागत वत्सल व्रत धारी भक्त कल्पतरु वर असुरारी

नाम लेत जग पावनकारी वानर सखा दिन दुःख हर की
आरती कीजै श्री रघुवर जी की
सत् चित् आनंद शिव सुंदर की
आरती कीजै श्री रघुवर जी की

24Jun

Shri Ram Aarti – श्री राम जी की आरती

Shri Ram Aarti – श्री राम जी की आरती

श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्
नवकंज लोचन कंज मुखकर कंज पद कन्जारुणम्

कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्

भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्

सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं
आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं

इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि
मन रंजनम् मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्

मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों
करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो

एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली
तुलसी भवानी: पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली

जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि
मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे

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24Jun

Shri Satyanarayan Bhagwan Aarti- श्री सत्यनारायणजी की आरती

Shri Satyanarayan Bhagwan Aarti- श्री सत्यनारायणजी की आरती

जय लक्ष्मी रमणा स्वामी श्री लक्ष्मी रमणा
सत्यनारायण स्वामी सत्यनारायण स्वामी
जन पातक हरणा ॐ जय लक्ष्मी रमणा

रतन जड़ित सिंहासन
अदभुत छवि राजे
स्वामी अदभुत छवि राजे
नारद करत नीराजन

नारद करत नीराजन
घंटा वन बाजे
ॐ जय लक्ष्मी रमणा

प्रकट भए कलिकारण
द्विज को दरस दियो स्वामी द्विज को दरस दियो
बूढ़ा ब्राह्मण बनकर बूढ़ा ब्राह्मण बनकर
कंचन महल कियो ॐ जय लक्ष्मी रमणा

दुर्बल भील कुठारी
जिन पर कृपा करी स्वामी जिन पर कृपा करी
चंद्रचूड़ एक राजा चंद्रचूड़ एक राजा
तिनकी विपत्ति हरि ॐ जय लक्ष्मी रमणा

वैश्य मनोरथ पायो श्रद्धा तज दीन्ही
स्वामी श्रद्धा तज दीन्ही
सो फल भाग्यो प्रभुजी सो फल भाग्यो
प्रभुजी फिर अस्तुति किन्ही ॐ जय लक्ष्मी रमणा

भाव भक्ति के कारण छिन-छिन रूप धरयो
स्वामी छिन-छिन रूप धरयो
श्रद्धा धारण किनी श्रद्धा धारण किनी
तिनके काज सरयो ॐ जय लक्ष्मी रमणा

ग्वाल-बाल संग राजा
बन में भक्ति करी स्वामी बन में भक्ति करी
मनवांछित फल दीन्हो मनवांछित फल दीन्हो
दीन दयालु हरि ॐ जय लक्ष्मी रमणा

चढत प्रसाद सवायो
कदली फल मेवा स्वामी कदली फल मेवा
धूप-दीप-तुलसी से धूप-दीप-तुलसी से राजी सत्यदेवा
ॐ जय लक्ष्मी रमणा

सत्यनारायणजी की आरती जो कोई नर गावै
स्वामी जो कोई नर गावै
तन मन सुख संपती तन मन सुख संपती
मनवांछित फल पावे ॐ जय लक्ष्मी रमणा

जय लक्ष्मी रमणा स्वामी श्री लक्ष्मी रमणा
सत्यनारायण स्वामी सत्यनारायण स्वामी
जन पातक हरणा
ॐ जय लक्ष्मी रमणा ॐ जय लक्ष्मी रमणा ॐ जय लक्ष्मी रमणा

24Jun

Shiva Aarti – ॐ जय शिव ओंकारा

Shiva Aarti – ॐ जय शिव ओंकारा

ॐ जय शिव ओंकारा, प्रभु हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा
ॐ जय शिव ओंकारा

ॐ जय शिव ओंकारा, प्रभु हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा
ॐ जय शिव ओंकारा

एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे
स्वामी पञ्चानन राजे
हंसासन गरूड़ासन हंसासन गरूड़ासन
वृषवाहन साजे ॐ जय शिव ओंकारा

दो भुज चार चतुर्भुज, दसभुज ते सोहे
स्वामी दसभुज ते सोहे
तीनों रूप निरखता तीनों रूप निरखता
त्रिभुवन मन मोहे ॐ जय शिव ओंकारा

अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी
स्वामी मुण्डमाला धारी
चन्दन मृगमद चंदा चन्दन मृगमद चंदा
भोले शुभ कारी ॐ जय शिव ओंकारा

श्वेताम्बर, पीताम्बर, बाघाम्बर अंगे
स्वामी बाघाम्बर अंगे
ब्रह्मादिक संतादिक ब्रह्मादिक संतादिक
भूतादिक संगे ॐ जय शिव ओंकारा

कर मध्ये च’कमण्ड चक्र त्रिशूलधरता
स्वामी चक्र त्रिशूलधरता
जग कर्ता जग हरता जग कर्ता जग हरता
जगपालन करता ॐ जय शिव ओंकारा

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव जानत अविवेका
स्वामी जानत अविवेका
प्रनाबाच्क्षर के मध्ये प्रनाबाच्क्षर के मध्ये
ये तीनों एका ॐ जय शिव ओंकारा

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ जन गावे
स्वामी जो कोइ जन गावे
कहत शिवानन्द स्वामी कहत शिवानन्द स्वामी
मनवान्छित फल पावे ॐ जय शिव ओंकारा

ॐ जय शिव ओंकारा, प्रभु हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,
अर्द्धांगी धारा ॐ जय शिव ओंकारा

ॐ जय शिव ओंकारा, प्रभु हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,
अर्द्धांगी धारा ॐ जय शिव ओंकारा

24Jun

Shree Ganesh Aarti – श्री गणेश आरती

Shree Ganesh Aarti – श्री गणेश आरती

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा

एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी
माथे पर तिलक सोहे, मूसे की सवारी

पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा
लड्डुअन का भोग लगे सन्त करे सेवा

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा

अँधे को आँख देत कोढ़िन को काया
बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया

सूर श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा..

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24Jun

Maa Ganga Aarti-ॐ जय गंगे माता

Maa Ganga Aarti-ॐ जय गंगे माता

हर हर गंगे जय माँ गंगे
हर हर गंगे जय माँ गंगे

ॐ जय गंगे माता
श्री जय गंगे माता
जो नर तुझको ध्याता जो नर तुझको ध्याता
मन वांशित फल पाता ॐ जय गंगे माता..

जय गंगे माता श्री जय गंगे माता
जो नर तुझको ध्याता जो नर तुझको ध्याता
मन वांशित फल पाता ॐ जय गंगे माता..

चन्द्र सी ज्योत तुम्हारी
जल निर्मल आता मैया जल निर्मल आता
शरण पड़े जो तेरी शरण पड़े जो तेरी
सो नर तर जाता ॐ जय गंगे माता

पुत्र सगर के तारे, सब जग को ज्ञाता
मैया सब जग को ज्ञाता
कृपा दृष्टि हो तुम्हारी कृपा दृष्टि हो तुम्हारी
त्रिभुवन सुखदाता ॐ जय गंगे माता..

एक ही बार जो तेरी शरणागति आता
मैया शरणागति आता यम की त्रास मिटाकर
यम की त्रास मिटाकर परम गति पाता
ॐ जय गंगे माता..

आरती मात तुम्हारी जो जन नित्त गाता मैया जो जन नित्त गाता
दास वाही सहज में दास वाही
सहज में मुक्ति को पाता ॐ जय गंगे माता..

ॐ जय गंगे माता श्री जय गंगे माता
जो नर तुझको ध्याता जो नर तुझको ध्याता
मन वांशित फल पाता ॐ जय गंगे माता..

जय गंगे माता श्री जय गंगे माता
जो नर तुझको ध्याता जो नर तुझको ध्याता
मन वांशित फल पाता
ॐ जय गंगे माता ॐ जय गंगे माता
ॐ जय गंगे माता ॐ जय गंगे माता..

24Jun

Gayatri Mata Ki Aarti – गायत्री माता आरती

Gayatri Mata Ki Aarti – गायत्री माता आरती

जयति जय गायत्री माता, जयति जय गायत्री माता
सत् मारग पर हमें चलाओ, जो है सुखदाता
जयति जय गायत्री माता

आदि शक्ति तुम अलख निरञ्जन जग पालन कर्त्री
दुःख, शोक, भय, क्लेश, कलह दारिद्रय दैन्य हर्त्री
जयति जय गायत्री माता

ब्रहृ रुपिणी, प्रणत पालिनी, जगतधातृ अम्बे
भवभयहारी, जनहितकारी, सुखदा जगदम्बे
जयति जय गायत्री माता

भयहारिणि भवतारिणि अनघे, अज आनन्द राशी
अविकारी, अघहरी, अविचलित, अमले अविनाशी
जयति जय गायत्री माता

कामधेनु सत् चित् आनन्दा, जय गंगा गीता
सविता की शाश्वती शक्ति तुम सावित्री सीता
जयति जय गायत्री माता

ऋग्, यजु, साम, अथर्व, प्रणयिनी, प्रणव महामहिमे
कुण्डलिनी सहस्त्रार सुषुम्ना, शोभा गुण गरिमे
जयति जय गायत्री माता

स्वाहा, स्वधा, शची, ब्रहाणी, राधा, रुद्राणी
जय सतरुपा, वाणी, विघा, कमला, कल्याणी
जयति जय गायत्री माता

जननी हम है, दीन हीन, दुःख दरिद्र के घेरे
यदपि कुटिल, कपटी कपूत, तऊ बालक है तेरे
जयति जय गायत्री माता

स्नेहसनी करुणामयि माता, चरण शरण दीजै
बिलख रहे हम शिशु सुत तेरे, दया दृष्टि कीजै
जयति जय गायत्री माता

काम, क्रोध, मद, लोभ, दम्भ, दुर्भाव, द्वेष हरिये
शुद्ध बुद्धि, निष्पाप हृदय, मन को पवित्र करिये
जयति जय गायत्री माता

तुम समर्थ सब भाँति तारिणी, तुष्टि, पुष्टि त्राता
सत् मार्ग पर हमें चलाओ, जो है सुखदाता
जयति जय गायत्री माता

जयति जय गायत्री माता, जयति जय गायत्री माता
सत् मारग पर हमें चलाओ, जो है सुखदाता
जयति जय गायत्री माता..

24Jun

Parvati Mata Aarti – पार्वती माता आरती

Parvati Mata Aarti – पार्वती माता आरती

ॐ जय पार्वती माता मैया जय पार्वती माता
ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल की दाता
ॐ जय पार्वती माता

जय पार्वती माता मैया जय पार्वती माता
ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल की दाता
ॐ जय पार्वती माता

अरिकुल पद्म विनाशिनि जय सेवक त्राता
जग जीवन जगदम्बा, हरिहर गुण गाता
ॐ जय पार्वती माता

सिंह का वाहन साजे, कुण्डल है साथा
देव बंधू जस गावत, नृत्य करत ताथा
ॐ जय पार्वती माता

सतयुग रूपशील अतिसुन्दर, नाम सती कहलाता
हेमांचल घर जन्मी, सखियन संग राता
ॐ जय पार्वती माता

शुम्भ निशुम्भ विदारे, हेमांचल स्थाता
सहस्त्र भुजा तनु धरि के, चक्र लियो हाथा
ॐ जय पार्वती माता

सृष्टि रूप तुही जननी शिवसंग रंगराता
नन्दी भृंगी बीन लाही है हाथन मदमाता
ॐ जय पार्वती माता

देवन अरज करत हम कवचित को लाता
गावत दे दे ताली, मन में रंगराता
ॐ जय पार्वती माता

श्री प्रताप आरती मैया की, जो कोई गाता
सदा सुखी नित रहता, सुख सम्पत्ति पाता
ॐ जय पार्वती माता

ॐ जय पार्वती माता मैया जय पार्वती माता
ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल की दाता
ॐ जय पार्वती माता

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