शनिदेव मंत्र – Shanidev Mantra
“नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायामार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।”
शरीर, मन व आर्थिक परशानी को दूर करे _शनिदेव मंत्र जाप | Shani Mantra Chanting | Nilanjana Samabhasam
“नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायामार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।”
शरीर, मन व आर्थिक परशानी को दूर करे _शनिदेव मंत्र जाप | Shani Mantra Chanting | Nilanjana Samabhasam
गणेश वंदना :
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय,
लम्बोदराय सकलाय जगद्विताय
नागाननाय श्रुतियज्ञ विभूषिताय
गौरी सुताय नमस्तुभ्यं सततं मोदक प्रिय।
लम्बोदरं नमस्तुभ्यं सततं मोदक प्रिय।
निर्विघ्नं कुरुमेदेव, सर्व कार्येषु सर्वदा।
विघ्न बाधाओं को दूर करने वाले, वर देने वाले सुर अर्ताथ देवताओ के प्रिय लम्बोतर अर्ताथ उनका उदार बढ़ा है जगत के पिता और पार्वती के पुत्र को में नमस्कार करता हु। जिनको लड्डू अति प्रिय है तथा गणेश जी हमारे भगवान् सभी विघ्न बाधाओं को दूर करे। इस मंत्र का जाप करने से गणेश जी भगवन सदा पर्सन रहते है और सभी विघ्न बाधाओं को दूर करके व्यक्ति के सारे मनोरथ पुरे करते है।
Laxmi Mantra -लक्ष्मी मंत्र
Mantra :
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
॥ Yaa Devi Sarva-Bhutessu Vishnumaayeti Shabditaa |
Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namas-Tasyai Namo Namah ||
Vocal Music Bhakti में आप सभी का स्वागत है। महा लक्ष्मी माता जैसा की हम जानते है। महालक्ष्मी माता हम सबको धन- संपदा, रूप- सौन्दर्य, वैभव, पुत्र, शांति, धन, दया, बुद्धि और प्रसद्धि देने वाली अतः लक्ष्मी माता का प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन ही मंत्र जप अवशय ही करना चाहिए। यदि माँ लक्ष्मी प्रसन हो जाये तो व्यक्ति को कभी भी धन – सम्पदा की कोई कमी नहीं रहती है और उसका जीवन सदा सुखमय रहता है। महा लक्ष्मी माता को प्रसन करने के लिए एक सबसे प्रमुख मंत्र इस प्रकार से है।
इस मंत्र से जैसे की ज्ञात हो रहा है की यह मंत्र माता लक्ष्मी को प्रसन इस मंत्र से जैसे की ज्ञात हो रहा है की यह मंत्र माता लक्ष्मी को प्रसन करने के लिए ही है। माता लक्ष्मी का यह मंत्र रोज सुबह शुद्ध मन से 108 बार किया जाये तो माँ लक्ष्मी अत्यंत प्रसन होती है। और भक्तो को धन -सम्पदा , मान -प्रतिष्ठा व सुख – समृदि आदि प्रदान करती है। तो आईये हम भी माता लक्ष्मी के इस मंत्र का 108 बार जाप करे।
Vishnu Mantra – Stuti (विष्णु मंत्र – स्तुति) :
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं
सुरेशं विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् ।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥
मनोकामना पूर्ति व विजयी होने का आशीर्वाद पाए || Shantakaram Bhujagashayanam_Vishnu Mantra – Stuti
हनुमान स्तुति – मंत्र
ॐ हम हनुमते नमः
संकट मोचन हनुमान जी का जन्म ज्योतिषियों की सटीक गड़ना के अनुसार लगभग 58 वर्षो पूर्व माना जाता है। सभी संकट दूर करने वाले बजरंग बली हनुमान जी के इस मंत्र में हनुमान जी की प्राथना की गयी है। इस मंत्र से हनुमान जी प्रसन होते है। और आशीर्वाद प्रदान करते है। तो प्रेम से बोलिये श्री हनुमान जी महाराज जी की जय।
बीमारियों से छुटकारा, सुखमय जीवन व बल प्राप्ति || Hanuman Mantra – Stuti || हनुमान स्तुति
मंत्र : ॐ श्री लक्ष्मीभयो नमः
माता लक्ष्मी के बिना कोई कार्य असंभव है. संसार में आया हुआ प्रतेयक प्राणी माँ लक्ष्मी माता को प्रश्न करना चाहता है। बिना लक्ष्मी के अन, वस्त्र और मकान कुछ भी संभव नहीं है यहाँ तक की पूजा पाठ का संभव कर पाना भी बिना माता लक्ष्मी के असंभव है
बंद किस्मत खुल जाएगी व वर्षों से रुका हुआ धन प्राप्त होगा, धन, दौलत,वैभव की प्राप्ति_Lakshmi Mantra
केतु कृपा मंत्र :
ॐ कें केतवे नमः
नव ग्रहों में से एक है केतु गृह के कारण मनुष्य को शारारिक यातनाये झेलनी पढ़ती है। अधिकतर गले या गले से निचे बा पैर तक की शारारिक याधिया या बीमारियों का कारण केतु को बताया गया है केतु गृह की शांति के लिए या मंत्र 108 बार बोलने से मनुष्य की शारारिक व्याथिया एवं बीमारिया दूर होती है।
मंगल गृह शांति मंत्र :
ॐ मंगल मंगलाय नमः
मंगल ग्रह की पीड़ा से गले की बीमारी, कुष्ठ रोग, फोड़ा – फुंसी , रक्त विकार, गठिया का बुखार, आँखों की बीमारी, दौरे पढ़ना और सर दर्द सम्बन्धी बीमारी से मुक्ति ,मंगल गृह के इस मंत्र को जपने से व्यक्ति को इन सब बीमारियों में लाभ होता है
गले की बीमारी, कुष्ठरोग, फोड़ा-फुंसी,आँखों की बीमारी व सरदर्द सम्बन्धी बीमारी से मुक्ति_Mangal Mantra
लक्ष्मी बीज मंत्र :
ॐ श्री लक्ष्मीभयो नमः
माता लक्ष्मी के बिना कोई भी कार्य असंभव है संसार में आया हुआ प्रतेयक प्राणी माता लक्समी को पर्सन करना चाहता है बिना लक्समी माता के मन, वस्त्र और मकान कुछ भी संभव नहीं है यहाँ तक की पूजा पाठ का बिना माता लक्समी के कर पाना असंभव है।
मंत्र :
ॐ चामुण्डाय नमः
माता जगदंबा ने जब चंड मुंड नाम के दो राक्षसों को मारा तो उनका नाम चामुंडा पड़ गया। माता चामुंडा शक्ति की प्रतिक है. असुरो नाश करने वाली माता चामुंडा का धयान करने से सभी प्राणियों का भय दूर हो जाता है और उनके सभी शत्रु पराजित होते है. माता चामुंडा का यह मंत्र यदि 108 बार शुद्ध मन से बोला जाता है तो अत्यंत लाभ होता है।
शत्रु पर विजय व मन की शांति _माँ चामुण्डायै मंत्र | शक्ति का प्रतीक CHAMUNDAYE MANTRA | Mantra